बिहार की सियासत में 1 नवंबर की देर रात एक बार फिर फिल्मी अंदाज में बड़ा ड्रामा देखने को मिला. JDU उम्मीदवार और बाहुबली नेता अनंत सिंह को पुलिस ने मोकामा हत्याकांड मामले में उनके बाढ़ स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया.
दुलारचंद यादव की हत्या से जुड़े इस केस में हुई यह गिरफ्तारी चुनावी माहौल में हलचल मचा गई है. क्योंकि मोकामा विधानसभा सीट पर पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को होनी है, ऐसे में अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने राजनीतिक समीकरणों को एक तगड़ा झटका दे दिया है.
अनंत सिंह के गिरफ्तारी की टाइमलाइन
बाहुबाली नेता अनंत सिंह को गिरफ्तार करने बिहार पुलिस रात 12 बजे बाढ़ में उनके घर के बाहर करीब 140 पुलिसकर्मी पहुंची. 12:15 पर उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया जाता है. इस ऑपरेशन की अगुवाई पटना SSP कार्तिकेयन शर्मा ने खुद की है. गिरफ्तारी के बाद 12:25 बजे उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच पटना के लिए रवाना कर दिया जाता है.
गिरफ्तारी के दौरान पुलिस काफिले में 12 से 13 गाड़ियां शामिल रहती हैं. लगभग 1:45 बजे अनंत को पटना लाकर एक गुप्त स्थान पर रखा जाता है. इस दौरान गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा गया.
पुलिस ने अनंत के दो समर्थकों- मणिकांत ठाकुर और रंजीत को भी हिरासत में लिया है. आज उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा और पुलिस रिमांड की मांग की जाएगी. सूत्रों के अनुसार, अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए पटना पुलिस की टीम एक्शन में है. बख्तियारपुर, बाढ़, मोकामा टाल इलाकों में छापेमारी की जा रही है.
दुलारचंद यादव की हत्या और बढ़ता तनाव
30 अक्टूबर की शाम पटना से सटे मोकामा के घोसवारी में गोलियों की आवाज गूंजी और जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई. वह जनसुराज के प्रचार अभियान में शामिल थे और बताया जाता है कि घटना के वक्त अनंत सिंह के काफिले के पास मौजूद थे. इस हत्या के बाद माहौल गर्म हो गया और FIR में अनंत सिंह और उनके समर्थकों के नाम शामिल किए गए. मृतक परिवार ने आरोप लगाया, “छोटे सरकार ने ही दादा की हत्या कराई.” हालांकि, अनंत सिंह ने इन आरोपों को साजिश बताया और कहा कि ये सब सूरजभान की योजना है.
मोकामा का चुनावी रण और सन्नाटा
मोकामा विधानसभा सीट पर जेडीयू से अनंत सिंह, राजद से वीणा देवी और जनसुराज से पीयूष प्रियदर्शी मैदान में हैं. दुलारचंद की हत्या और अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद यहां का माहौल तनावपूर्ण हो गया है. चुनाव प्रचार धीमा पड़ गया है और सन्नाटा पसरा है. अनंत सिंह को उनकी फेवरिट सफेद पैंट-शर्ट में गिरफ्तार किया गया, जो उनके लिए कोई नई बात नहीं है. लेकिन इस बार हालात चुनाव से ठीक पहले बदल गए हैं. बिहार की राजनीति एक बार फिर उस मोड़ पर पहुंच गई है, जहां कानून, अपराध और चुनाव की त्रिकोणीय लड़ाई आमने-सामने है.
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