Last Updated on December 09, 2025
   
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मंत्री एक साथ वेतन और पेंशन लेते पकड़े गए! RTI में खुलासा, बिहार और केंद्र सरकार के 8 नेताओं पर सवाल

यह RTI खुलासे में सामने आया कि बिहार और केंद्र सरकार के 8 नेता एक साथ वेतन और पेंशन दोनों ले रहे हैं. इसमें दो मंत्रियों सहित कई प्रभावशाली नाम शामिल होने से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.

2025-12-08
News

RTI के जरिए सामने आई ताजा जानकारी ने बड़ा राजनीतिक सवाल खड़ा कर दिया है कि बिहार और केंद्र सरकार के कई नेता एक साथ वेतन और पेंशन दोनों ले रहे हैं. यह खुलासा 2 दिसंबर 2025 को हुए RTI जवाब में हुआ, जिसमें कुल 8 नेताओं के नाम शामिल हैं. इनमें मोदी सरकार और नीतीश सरकार के मंत्री भी हैं, जिससे मामला और गंभीर हो गया है.

बड़े नाम और पूरी लिस्ट

RTI में जिन नेताओं के नाम आए हैं, उनमें सबसे चौंकाने वाले नाम केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दूबे और बिहार के वित्त मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के हैं. इनके अलावा उपेंद्र कुशवाहा, देवेश चंद्र ठाकुर, ललन कुमार सर्राफ, नितीश मिश्रा और संजय सिंह जैसे नेता भी सूची में शामिल हैं. सभी नेताओं को बिना रोक-टोक कई वर्षों से पेंशन जारी है, जबकि नियम के मुताबिक किसी भी सदन का सदस्य रहते हुए पेंशन लेना पूरी तरह गलत है. नीचे RTI में सामने आई पेंशन लिस्ट दी गई है.

RTI में सामने आए नाम और पेंशन राशि (मुख्य बिंदु)

सतीश चंद्र दूबे: 59,000 रुपए, पेंशन शुरुआत 26.5.2019.

बिजेंद्र प्रसाद यादव: 10,000 रुपए, पेंशन शुरुआत 24.5.2005.

उपेंद्र कुशवाहा: 47,000 रुपए, पेंशन शुरुआत 7.3.2005.

देवेश चंद्र ठाकुर: 86,000 रुपए, पेंशन शुरुआत 7.5.2020.

ललन सर्राफ: 50,000 रुपए, पेंशन शुरुआत 24.5.2020.

संजय सिंह: 68,000 रुपए, पेंशन शुरुआत 7.5.2018.

नितीश मिश्रा: 43,000 रुपए, पेंशन शुरुआत 22.9.2015.

भोला यादव: 65,000 रुपए, चुनाव हार चुके हैं, इसलिए यह पेंशन नियम के खिलाफ नहीं है.

नेताओं का बैकग्राउंड और स्थिति

उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा सांसद हैं और 2005 से पेंशन भी ले रहे हैं. NDA के सहयोगी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष हैं. सतीश चंद्र दूबे इस समय भारत सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं. पहले विधायक और लोकसभा सांसद रहे, फिर 2019 में राज्यसभा पहुंचे. बिजेंद्र प्रसाद यादव 1990 से लगातार सुपौल से विधायक और वर्तमान में बिहार के वित्त एवं ऊर्जा मंत्री हैं.

देवेश चंद्र ठाकुर जदयू नेता और 2024 के लोकसभा सांसद. विधान परिषद के पूर्व सभापति भी रह चुके हैं. ललन सर्राफ जदयू के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य. नितीश मिश्रा भाजपा विधायक हैं और दावा करते हैं कि वे अभी पेंशन नहीं ले रहे. संजय सिंह जदयू से विधान पार्षद और 2018 से पेंशनधारी.

नियम क्या कहते हैं और मामला विवादित क्यों है?

पेंशन और वेतन को लेकर नियम बेहद स्पष्ट हैं कि कोई भी व्यक्ति यदि किसी सदन का सदस्य है और वेतन ले रहा है, तो वह पेंशन नहीं ले सकता. हर साल लाइफ सर्टिफिकेट देना पड़ता है, जिससे यह साबित होता है कि पेंशन पाने वाला जीवित और पात्र है. इतना ही नहीं, पेंशन जारी रखने के लिए यह भी लिखित में देना जरूरी है कि वह राज्य या केंद्र सरकार में किसी भी पद पर सेवा नहीं दे रहा है. ऐसे में यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि मंत्री और सांसद पेंशन कैसे ले रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि नियमों के उल्लंघन के बावजूद इन नेताओं के खाते में लगातार पेंशन आना स्वयं में गंभीर प्रशासनिक कमी है और इससे सरकारी प्रणाली पर सवाल उठते हैं.

कानूनी विशेषज्ञों की राय पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील सर्वदेव सिंह ने इसे आर्थिक अपराध जैसा मामला बताया है. उनका कहना है कि कोई भी माननीय व्यक्ति पद पर रहते हुए पेंशन नहीं ले सकता और यदि यह हो रहा है तो यह नियमों और कानून दोनों का उल्लंघन है. वहीं RTI दायर करने वाले कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय का कहना है कि यह जानकारी उन्होंने सरकारी रिकॉर्ड से प्राप्त की है और इसे पारदर्शिता के लिए सार्वजनिक किया गया है. भास्कर द्वारा संपर्क करने पर अधिकतर नेताओं ने फोन रिसीव नहीं किया, हालांकि कुछ नेताओं ने सफाई दी कि उनके खाते में पेंशन नहीं आई या गलत तरीके से दर्ज हुई होगी.

कौन क्या कह रहा है और अगली कार्रवाई क्या हो सकती है? देवेश चंद्र ठाकुर और नितीश मिश्रा ने इस जानकारी को अधूरा बताया और कहा कि यदि खाते में कोई पेंशन आई होगी तो वे वापस कर देंगे. ठाकुर ने साफ कहा कि उन्होंने कभी पेंशन की मांग नहीं की है. वहीं नितीश मिश्रा ने दावा किया कि वे 2015 में सिर्फ एक माह की पेंशन ले पाए थे, जब वे किसी सदन के सदस्य नहीं थे. दैनिक भास्कर के अनुसार, उसके बाद उन्होंने पेंशन नहीं ली है. दूसरी ओर, राजनीतिक गलियारों में इस RTI लिस्ट के सामने आने के बाद विरोधी दलों ने सरकार पर पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. यह मामला आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक विवाद बन सकता है, क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य सरकार के मौजूदा मंत्री शामिल हैं. अब नजर इस बात पर है कि सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है और क्या वाकई पेंशन की गलत अदायगी रोकी जाएगी.


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