बिहार विधानसभा चुनाव में छपरा सीट से राजद उम्मीदवार खेसारी लाल यादव इन दिनों विवादों में घिर गए हैं. हाल ही में राम मंदिर को लेकर दिए गए उनके बयान ने संत समाज को गहराई से आहत किया है. अयोध्या के कई प्रमुख साधु-संतों ने उनके खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है और उन्हें मानसिक रूप से बीमार तथा अधार्मिक बताया है.
हनुमानगढ़ी के महंत देवेशाचार्य महाराज ने खेसारी लाल यादव पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उनका बयान मूर्खतापूर्ण और अपमानजनक है. भारत सनातन धर्म का देश है और भगवान राम उसकी आत्मा हैं. कुछ चंद वोटों के लिए उन्होंने ऐसा बयान देकर न केवल धर्म का अपमान किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि उन्हें अपने धर्म और संस्कृति से कोई लगाव नहीं है.
अधार्मिक और कठमुल्ला सोच के व्यक्ति हैं खेसारी - देवेशाचार्य महाराज
हनुमानगढ़ी के महंत देवेशाचार्य महाराज ने आगे कहा कि खेसारी को पहले अपने परिवार से पूछना चाहिए था कि क्या राम मंदिर की आवश्यकता थी या नहीं. मुझे पूरा विश्वास है कि उनके घरवाले भी यही कहेंगे कि मंदिर की आवश्यकता थी. खेसारी अधार्मिक और कठमुल्ला सोच के व्यक्ति हैं. उनके फिल्मों के गाने भी उनकी तरह अधार्मिक और फूहड़ हैं.
केवल सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए ऐसे बयान दे रहे खेसारी- परमहंस आचार्य
तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि खेसारी के बयान से साफ है कि वे केवल सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके गाने और फिल्में फूहड़ता से भरी हैं. अगर वे मस्जिद के बारे में ऐसा कुछ कहते, तो शायद लोग उन्हें बर्दाश्त न करते. यह सनातन धर्म को बदनाम करने और चर्चाओं में आने का तरीका है. खेसारी राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी पार्टी में कभी मर्यादा रही ही नहीं, तो उनमें कैसे होगी.
मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति हैं खेसारी- सीताराम दास महाराज
अयोध्या के संत सीताराम दास महाराज ने भी खेसारी पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि वह मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति हैं और उन्हें ज्ञान की कोई समझ नहीं है. उनकी पार्टी हमेशा से ही सनातन विरोधी रही है. जब लाल कृष्ण आडवाणी ने राम रथ यात्रा निकाली थी, तब भी उनकी पार्टी ने इसका विरोध किया था.
संत समाज ने यह भी कहा कि अगर खेसारी लाल यादव को सनातन धर्म और भगवान राम की मर्यादा का सम्मान नहीं है, तो उन्हें राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए. उनका बयान न केवल हिंदू समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राजनीति के लिए अब कुछ लोग मर्यादा की सारी सीमाएं लांघने लगे हैं.
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