बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण ऐतिहासिक बन गया. गुरुवार (6 नवंबर) को 18 जिलों की 121 सीटों पर हुए मतदान में 64.66 प्रतिशत लोगों ने वोट किया. अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो यह पिछले चुनाव से करीब साढ़े आठ प्रतिशत ज्यादा रहा, लेकिन यह आंकड़ा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की टेंशन बढ़ाने वाला है. अगर अभी तक के पैटर्न को देखें तो जब-जब मतदान प्रतिशत पांच प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है, सत्ता बदल गई है.
बिहार के लिए इस बार का चुनाव अद्भुत माना जा रहा है, क्यों कि इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है. साल 2020 की बात करें तो पहले चरण में 56.1 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन उस वक्त पहले फेज में 71 सीटों के लिए मतदान हुआ था. हालांकि इस बार 121 सीटों पर वोटिंग हुई.
वोट प्रतिशत बढ़ने से बदल गई सरकार
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार बिहार चुनाव के पहले चरण में 64.66 प्रतिशत मतदान हुआ. अहम बात यह भी है कि मतदान प्रतिशत का सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ता है. अगर पैटर्न को देखें तो जब-जब 5 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग बढ़ी है, तब-तब सरकार बदल गई है.
जब कांग्रेस के हाथों से चली गई सत्ता
1962 में 44.5 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, लेकिन 1967 में 51.5 प्रतिशत मतदान हुआ. इस तरह 7 प्रतिशत वोट बढ़ने के बाद कांग्रेस के हाथों से सरकार चली गई थी. बिहार में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी. इसी तरह 1980 में 57.3 प्रतिशत मतदान हुआ था. जबकि 1977 में 50.5 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इन चुनावों के बीच 6.8 प्रतिशत का फासला रहा, तब भी सरकार बदल गई. जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में वापस आ गई थी.
बिहार में कब कितने प्रतिशत हुआ मतदान
अगर 1951-52 की बात करें तो 42.6 प्रतिशत मतदान हुआ था. इसके बाद 1957 में 43.24, 1962 में 44.47 और 1967 में 51.51 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. 1969 की बात करें तो 52.79 प्रतिशत और 1972 में 52.79 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस तरह 2020 के चुनाव 57.29 प्रतिशत, 2015 में 56.91 प्रतिशत और 2010 में 52.73 प्रतिशत मतदान हुआ था.
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