Last Updated on November 14, 2025
   
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बिहार चुनाव रुझान: एनडीए की बढ़त से उत्साह, लेकिन तेजस्वी यादव के लिए छिपा ये बड़ा राजनीतिक संदेश

महागठबंधन ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा और मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम उम्मीदवार बनाया था ताकि यादव-मुस्लिम के साथ मल्लाह वोट भी खींचा जा सके.

2025-11-14
News

बिहार विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझानों में एनडीए गठबंधन महागठबंधन से काफी आगे चलता दिख रहा है. इससे पहले आए एग्जिट पोल ने भी सत्ता में एनडीए की वापसी का अनुमान लगाया था. ऐसे रुझान न सिर्फ चुनावी दिशा दिखा रहे हैं बल्कि महागठबंधन और खासकर तेजस्वी यादव के भविष्य के लिए भी एक अहम संकेत दे रहे हैं.

तेजस्वी यादव: बिहार की राजनीति का स्थापित चेहरा चुनाव विश्लेषक और राजनीतिक जानकार राकेश शुक्ला के अनुसार, भले ही रुझान अंतिम परिणाम नहीं होते, लेकिन इससे यह साफ झलकता है कि तेजस्वी यादव अब बिहार की राजनीति के केंद्रीय चेहरा बन चुके हैं.

इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण: 2020 चुनाव में तेजस्वी का प्रभाव- तेजस्वी यादव ने अपने दम पर आरजेडी को 75 सीटें दिलाई थीं, जो उस चुनाव में किसी भी पार्टी को मिली सबसे ज्यादा सीटें थीं. इस बार के रुझानों में भी आरजेडी सबसे आगे- महागठबंधन भले पीछे हो, लेकिन तेजस्वी की पार्टी आरजेडी विपक्षी दलों से काफी आगे चल रही है—यह साफ संकेत है कि उनका जनाधार अभी भी मजबूत है.

2015 और 2024 के चुनावों में भी दमदार प्रदर्शन- तेजस्वी लगातार चुनावी राजनीति में अपनी छाप छोड़ते आए हैं और यह साबित करते हैं कि वे बिहार की राजनीतिक ज़मीन पर स्वीकार्य नेता हैं.

तेजस्वी क्यों नहीं चल पाए इस बार? वरिष्ठ पत्रकार रोहित कहते हैं कि इस बार जनता ने तेजस्वी को सीएम के तौर पर स्वीकार करने में हिचक दिखाई. उनका मानना है कि यादव-मुस्लिम वोट बैंक के एकजुट होने की उम्मीदें जितनी थीं, जनता का मूड उससे अलग रहा.

महागठबंधन ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा और मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम उम्मीदवार बनाया था ताकि यादव-मुस्लिम के साथ मल्लाह वोट भी खींचा जा सके. लेकिन रणनीति उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं दे सकी.

क्या जनता ने तेजस्वी को नकार दिया?

रुझानों से यह साफ होता है कि महागठबंधन अपने गठजोड़ और समीकरणों पर कामयाब नहीं हो पाया लेकिन तेजस्वी यादव को जनता ने पूरी तरह नहीं नकारा है. आरजेडी की मजबूत स्थिति दिखाती है कि तेजस्वी अब बिहार की राजनीति में स्थायी और मजबूत खिलाड़ी बन चुके हैं.

हालांकि एनडीए शुरुआती रुझानों में मजबूत स्थिति में है, लेकिन तेजस्वी यादव की राजनीतिक हैसियत और जनाधार सुरक्षित और मजबूत बना हुआ है. यह चुनाव उनके लिए हार नहीं बल्कि आने वाले समय में और मज़बूत होकर उभरने का संकेत दे रहा है.


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